क्या खोया है, क्या है पाया,
हर लम्हा, हर छन ये सोचा,
सोच सोच के मै बढ़ आया !
लरता रहा हर पल मैं खुद से, खुद की ईच्छा खुद की आशा
क्या था लाया जो मै खोया, यहीं पे पाया, यहीं गवाया !
इस जीवन का खेल चक्र ये, तब मैं बिलकुल समझ ना पाया,
क्या खोया है, क्या है पाया !
-KGS
Nice One!
ReplyDelete